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बच्चे के रोने से पता लगायें आखिर क्योँ रो रहा है

Written by hindicharcha

नवजात शिशु या छोटे बच्चों का रोना एक सामान्य और प्राकृतिक क्रिया है जिसका सामना हर माँ को करना पड़ता है। कभी-कभी शिशुओं की रोने की आदत कुछ ज़्यादा ही गंभीर और लंबी चलने वाली प्रक्रिया बन जाती है और नए माता पिता के लिए उसे संभालना थोड़ा मुश्किल सा होने लगता है। कई बार इसके लिए माता पिता चिकित्सक की सलाह भी लेते हैं, लेकिन अगर बच्चे की भावनाओं को पहचानकर समझने की कोशिश करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले घर में ही बच्चे को अपनी निगरानी में रखकर समाधान की कोशिश करना बेहतर होगा, इसके बाद अगर आप सफल नहीं होते तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।

भूख के कारण
बच्‍चों के रोने का सबसे प्रमुख कारण भूख लगना ही होता है। अगर आप बच्‍चे के भूख लगने के संकेतों को समझ जाएं, तो उसके रोना शुरू करने से पहले ही दूध पिला सकती हैं। अधिकतर समय बच्‍चे भूख की वजह से ही रोते हैं और दूध पीने पर चुप हो जाते हैं।

जन्‍म के बाद तीन महीने तक शिशु को हर घंटे में भूख लगती है और भूख के बारे में बताने के लिए वो धीमी आवाज में रोना शुरू करते हैं।

थकान
बच्‍चे थकान होने पर सोने की बजाय चिड़चिड़े हो सकते हैं। ऐसे में बच्‍चे रोकर अपनी बात बताते हैं। अगर आपका बच्‍चा थकान की वजह से रो रहा है तो उसे एक चादर में स्‍वैडल (लपेटें) करें और कंधे लगाकर रखें। ऐसे शिशु को मां के गर्भ जैसा एहसास होता है। आप बच्‍चे को गोद में लेकर वॉक पर भी जा सकते हैं।

कोलिक और गैस
पेट से जुड़ी परेशानियों जैसे कि गैस या कोलिक की वजह से भी बच्‍चे रोते हैं। कोलिक बेबी दिन में कम से कम तीन घंटे और सप्‍ताह में कम से कम तीन दिन रोते हैं। अगर दूध पीने और पेट भरने के बाद भी आपका बच्‍चा रो रहा है तो इसका कारण गैस या पेट दर्द हो सकता है। आप शिशु को ग्राइप वॉटर देकर पेट दर्द से राहत दिला सकते हैं।

पांच से लगभग एक शिशु कोलिक होता है। आमतौर पर बच्‍चों में यह समस्‍या जन्‍म के बाद पहले महीने में देखी जाती है।

नींद की कमी
छह महीने के होने के बाद शिशु अपने आप ही सोना सीख जाते हैा लेकिन कभी कभी बच्‍चे अपनी मां या पिता के बिना नहीं सोते हैं। स्‍लीप शेड्यूल बनने के बाद भी बच्चे को आपके बिना नींद आने में दिक्‍कत हो सकती है और वो रोकर ही आपको अपने पास बुला सकता है।
ऐसे में बच्‍चे के रोने पर उसके पास जाने की जरूरत नहीं है। रिसर्च में सामने आया है कि शिशु को धीरे-धीरे रोता हुआ छोड़ने से वो अपने आप ही सोना सीख जाते हैं और लंबी एवं गहरी नींद लेते हैं।

डकार लेने के लिए
यदि बच्‍चा दूध पीने या खाना खाने के बाद रो रहा है तो इसका मतलब हो सकता है कि बच्‍चे को डकार लेनी है। कई बार डकार न आने पर शिशु को असहज महसूस होता है और वो रोने गलता है। दूध पीने पर बच्‍चे हवा को भी निगल लेते हैं और अगर ये हवा शरीर से बाहर न निकले तो बच्‍चे को असहज महसूस हो सकता है।
शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे कंधे से लगाकर रखें और उसकी पीठ सहलाते रहें। इससे बच्‍चे को जल्‍दी डकार आ जाती है।

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