वास्तु

वास्तु के अनुसार कैसे होना चाहिए आपका प्रवेश तथा मुख्य द्वार

Written by hindicharcha

हिंदी चर्चा में हम आज आपको बताएँगे की वास्तु के अनुसार कैसे होना चाहिए आपका प्रवेश तथा मुख्य द्वार? प्रवेश तथा मुख्य द्वार को सिर्फ अपने रिश्तेदारों या सगे सम्बंधियो का स्वागत करने तथा अपना अच्छा पहला प्रभाव बनाने के लिए नहीं है बल्कि इसका वास्तु शास्त्र में काफी महत्त्व है। वास्तु अनुसार यह आवास का वह क्षेत्र है जहाँ पूरे परिसर में सकारात्मक ऊर्जा के मुक्त प्रवाह की अनुमति देता है ।

इसलिए प्रवेश द्वार तथा मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स का घरों तथा कार्यालयों में ( दुकानों, कार्यशालाओ, कारखानों आदि सहित ) सख्ती से पालन किया जाना चाहिए । वास्तु टिप्स मुख्य रूप से मुख्य द्वार का स्थान तथा उसकी दिशा पर ध्यान केंद्रित करता है । वास्तु अनुसार बनाया गया मुख्य प्रवेश द्वार आपके घर में परिवार के सदस्यों तथा रिश्तेदारों के बीच स्नेहपूर्ण संबंधो को बनाने और उनको बनाए रखने में तथा कार्यालय में अधिक व्यापार लाने में मदद करेंगे ।

नीचे कुछ वास्तु टिप्स दिए हैं प्रवेश द्वार तथा मुख्य द्वार के लिए कृपया ध्यान से पढ़ें.

आपका मुख्य द्वार कौन-सी दिशा का सामना कर रहा है ? मुख्य द्वार की दिशा, पालनकर्ता की जन्म तिथि ( या कार्यालय के मामले में मालिक ) के अनुसार होनी चाहिए । मुख्य द्वार की दिशा सभी के लिए एक जैसी नहीं होगी । इसलिए यह आपके अनुकूल दिशा में से एक और आपकी जन्म तिथि के अनुसार हिसाब लगाई हुई होनी चाहिए ।

क्या आप मुख्य द्वार के सामने सोते है ? वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार के सामने सोने से आपके स्वास्थ्य पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । यदि यह अनिवार्य है तो यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी अनुकूल दिशा में सो रहे हैं।

जैसे की पहले उल्लेख किया है, द्वार के लिए वास्तु सुझाव स्पष्ट करते हैं कि मुख्य द्वार के अंदर या बाहर से किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए । इससे घर में ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करता है। मुख्य द्वार से कोई भी फर्निचर या जुतों को हटा दें जो मुख्य द्वार को पूरी तरह से खुलने में बाधा उत्पन्न कर रहा है ।

घर का प्रवेश द्वार एकदम स्वच्छ होना चाहिए। प्रवेश द्वार जितना स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।

प्रवेश द्वार के आगे स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे मांगलिक चिह्नों को उपयोग अवश्य करें।

प्रवेश द्वार पर कभी ‍भी बिना सोचे-समझे गणेशजी न लगाएं। दक्षिण या उत्तरमुखी घर के द्वार पर ही गणेशजी लगाएं।

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