अध्यात्म

पूजा गृह में दीपक प्रज्वलित करने का तरीका

Written by hindicharcha

नमस्कार दोस्तों हिंदी चर्चा में आपको स्वागत है, आज की अध्यात्म चर्चा में हम आपको बताएँगे पूजा गृह में दीपक प्रज्वलित करने का तरीका

पूजा गृह में दीपक प्रज्वलित करने के लिए हमेशा नई और पवित्र रुई से बने कँवल या बत्ती तथा शुद्ध घी, सरसों या तिली के तेल को ही उपयोग में लाना चाहिए।

पुरानी और पहले से ही किसी अन्य कार्य में प्रयुक्त रुई और अशुद्ध व झूठे घी व तेल का उपयोग पूजा तथा आरती के लिए नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शास्त्रों के अनुसार निषिद्ध माना गया है।

दीपक को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए बल्कि उसे रोली या चावल का सतिया बना कर उस पर प्रज्वलित करना चाहिए।

दीपक प्रज्वलित करते समय समस्त जीव-जंतुओं एवं पादपों के कल्याण और सुख-समृद्धि की सच्चे हृदय से कामना अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से सर्व शक्तिमान ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा गृह, घर, प्रतिष्ठान अथवा किसी संस्थान में दीपक प्रज्वलित करके ईश्वर का ध्यान करते समय निम्न मन्त्र का जाप करना शुभ एवं कल्याणकारी होता है:

शुभम करोतु कल्याणंमारोग्यं सुख सम्पदम .
शत्रु बुद्धि विनाशायं च दीप ज्योतिर्नमोस्तुते।

अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो

दीपक अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो, तो नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

अगर हमे शत्रुओं से पीड़ा हो, तो सरसों के तेल का दीपक भैरवजी के सामने जलाना चाहिए।

भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

शनि ग्रह की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

पति की आयु के लिए महुए के तेल का और राहू-केतू ग्रह के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

किसी भी देवी या देवता की पूजा में शुद्ध गाय का घी या एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।

भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

भैरव साधना के लिए चौमुखा सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

भगवान कार्तिक की प्रसन्नता के लिए भी पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

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